विशिष्टता

मंदिर में मूर्ति की स्थापना प्रथम तल पर की गयी है। प्रथम तल के हाल का क्षेत्रफल 2500 वर्गफुट का है जिसमें एक तिहाई हिस्से में गर्भगृह है तथा दो तिहाई हिस्से में श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था है। मंदिर के प्रथम तल पर 2500 वर्गफुट का एक सत्संग हाल है जिसमें समय-समय पर सत्संग एवं अन्य सामाजिक कार्यक्रम श्रद्वालुओं के लिए आयोजत किये जाते है।

  1. मंदिर एवं आस-पास का स्वच्छ वातावरण जिसके शान्त और आनन्द की अनुभूति की अभिव्यक्ति शब्दों में कर पाना असम्भव है। इसकी सुखद अनुभूति यहाँ आकर ही की जा सकती है।
  2. श्री हनुमान जी की मूर्ति जयपुर के कलाकार द्वारा सफेद मकराना पत्थर के एकल टुकड़े पर संरचित है। यह मूर्ति मूर्तिकला अनूठा उदाहरण है। मूर्ति में उत्कीर्ण बारीक कलाकृति देखकर आँखे आश्चर्य से भर जाती हैं।  
मूर्ति की ऊँचाई सवा छ: फुट है। मूर्ति में आकर्षण इतना है कि ऐसे लगता है जैसे हनुमानजी बोल देंगे और साक्षात रूप में स्वयं खड़े हुए आर्शीवाद दे रहें है।