
समीपवर्ती दर्शनीय स्थल
- गोला गोकरन नाथ-
विश्व विख्यात ''भगवान शिव'' का धार्मिक स्थल के रूप में मंदिर स्थापित है। मंदिर के आस-पास और कई मंदिर भी प्रशसंनीय है।
- ओएल में मेढक मंदिर-
पूरे भारत वर्ष में यही अकेला फ्राग मंदिर के रूप में स्थापित है जो कि ओएल स्टेट के राजा द्वारा बनाया गया था। इस मंदिर में एक बहुत बड़ा मेढक का आकार दिया गया है, जो लार्ड शिव के रूप में सुविख्यात है। मंदिर ओएल गाँव में स्थापित है, जो कि लखीमपुर खीरी-दुधवा मार्ग पर हरगाँव से 10 कि0मी0 की दूरी पर है।
- नैमिषारण्य-
श्री देवी भागवत एवं श्रीराम चरित मानस में नैमिषारण्य का माहात्मय का उल्लेख है। नैमिषारण्य स्थित चक्रतीर्थ एवं पुष्कर को सर्वश्रेंष्ठ तीर्थ कहा गया है। आस्थावान जन ऐसा विश्वास करते है, कि बद्रीनाथ एवं केदारनाथ धाम की यात्रा नैमिषारण्य की यात्रा के उपरान्त ही पूरी होती है। नैमिषारण्य में श्री लालता देवी नैमिषारण्य की अधिष्ठात्री देवी है जो पुराणादि ग्रन्थों में शक्ति-पीठों के अंतर्गत वर्णित है।
नैमिषारण्य में हनुमागढी, पाण्डव किला, व्यासगद्दी, हवनकुण्ड, पुराण मंदिर - माँ आनन्दमयी आश्रम, स्वामी नारदानन्द सरस्वती आश्रम, परमहंस गौडीय मठ तथा परिक्रमा क्षेत्र आकर्षक स्थल है।
यह स्थल जनपद- लखीमपुर के समीप जनपद-सीतापुर के अंतर्गत स्थित है।
- मिश्रिख-
यह स्थल भी जनपद-सीतापुर के अंतर्गत जनपद-लखीमपुर जाने के रास्ते पर है और नैमिषारण्य से लगभग 10 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। पदमपुराण के आदि खण्ड में मिश्रिख का महात्म्य-निदर्शन करते हुये कहा गया है-
''ततो गच्छेत राजेनद्र ! मिश्रिखं तीर्थमुत्तमम्।।
तत्र तीर्थानि राजेन्द्र ! मिश्रितानि महात्मना।।
धार्मिक स्थल मिश्रिख में सीताकुण्ड एवं दधीचिकुण्ड का स्थल स्थापित है। चारों ओर अनेक प्राचीन मंदिर है। दधीचिकुण्ड के मध्य एक कुआँ भी विद्यमान है। मान्यता है कि दधीचिकुण्ड में ही समस्त तीर्थो का जल एकत्रित किया गया था।
- पूर्णागिरी देवी मंदिर-
जनपद-पीलीभीत में टनकपुर के आगे पूर्णागिरी देवी मंदिर ऊचें पहाड़ पर स्थापित हैं। शक्तिपीठ देवी मंदिर के रूप में सुविख्यास हैं। मंदिर में वर्षभर दर्शनार्थी आते है। मंदिर लखीमपुर के अति समीप है। दर्शनार्थी गण टूरिस्ट बस के द्वारा पैकेज के आधार पर पीलीभीत, लखीमपुर, सीतापुर एवं बहराइच में स्थापित देव स्थलों का दर्शन का लाभ प्राप्त करते हैं। मनोकामना की पूर्ति हेतु देवी स्थलों में पूर्णागिरी देवी मंदिर का सर्वत्र महत्व माना गया है।