नामकरण

श्री संकट मोचन वीर बाबा के नाम से मंदिर के नामकरण की पृष्ठभूमि ऐतिहासिक है। मंदिर के पिछले हिस्से में पाकड़ / पीपल का जुड़ा हुआ वृक्ष है। ब्रिटिश काल (अंग्रेजो के जमाने) के पहले बंदोबस्त (Record Operation) में थोड़ा सा हिस्सा - ''वीर बाबा'' स्थान के नाम से दर्ज है। इस स्थान पर सौ साल से वीर बाबा की पूजा सतत रूप से की जाती रही है।

उक्त स्थल पर पूर्व में ''बलि'' चढ़ाई जाती थी और तदोपरान्त वीरबाबा के स्थान पर पूजा होती थी। नामरण के समय स्थान देवता वीरबाबा का नाम भी श्री संकट मोचन के साथ संरक्षित रखा गया। श्री हनुमान जी के साथ ही विधिवत वीरबाबा की भी पूजा आरती नियमित की जाती है।

श्री महावीर मित्तल, निवासी लखीमपुर द्वारा दान दी गई भूमि एवं पुराने धार्मिक स्थल को मिलाकर मंदिर की स्थापना की गई हैं।