सेवा कार्य व कार्य-योजना प्रबन्धन

  1. गरीबों के लिये चिकित्सीय सुविध / कैम्प-
    सप्ताह में एक दिन डा0 वाई0वी0 चन्द्र एम0डी0 मंदिर में शाम को  250-300 मरीजों को देखते है तथा उनकों एलोपैथी की समस्त दवायें निशुल्क: दी जाती है। डा0 चन्द्र लखीमपुर के सिविल अस्पताल में 25 साल से अधिक सेवारत रहें। जनता में उनकी लोकप्रियता इतनी अधिक है कि मरीजों की संख्या बहुत हो जाती है।
    सबसे उल्लेखनीय यह है कि मंदिर में 40 प्रतिशत मरीज मुसलमान परिवार के होते हैं जिससे लगता है कि दर्द एवं गरीबी का कोई धर्म या जाति नही होती है। दवा की सम्पूर्ण व्यवस्था आहत चैरिटेबिल ट्रस्ट करता है।
  2. वंचित परिवार की शादी व्यवस्था -
    गरीब लड़कियों की शादी कराने के लिये आहत चैरिटेबिल ट्रस्ट के माध्यम से व्यवस्था कराई जाती है। आवश्यक समस्त समाग्री चिन्हित परिवारों को उपलब्ध कराई जाती है।
    मंदिर में शादी के लिये लड़का-लड़कियों (दोनों) को आपस में पहचान व पसंद करने का कार्य, रिंग सैरेमनी आदि कार्यक्रम मन्दिर स्थल पर निर्मित हाल में आयोजित होते रहते हैं, क्योंकि लोगों को काफी श्रद्धा हो गई है और मान्यता है, कि यहाँ आने पर शादी तय हो जायेगी तथा सुहाग को सच्चा आर्शीवाद मिलेगा।
  3. योगा एवं सत्संग शिविर -
    बढ़ती जनसंख्या एवं पाश्चात्य संस्कृति के दबाव के कारण सामाजिक आधारभूत मान्यताओं का हास न हो। इस दृष्टि से अनैतिकता पर नैतिकता की विजय हेतु अच्छा एवं स्वस्थ नागरिक का निर्माण व स्वालम्बी के लिये प्रतिष्ठिता लोगों द्वारा संत्संग एवं योगा के शिविर की प्रमुखता दी गई है।
  4. सामाजिक कुरीतियों - बुराईयों की समाप्ति -
    अपने राष्ट्र में भौगोलिक एवं आर्थिक रूप से प्रचुर सम्पदायें हैं, परन्तु दोषपूर्ण सोंच के कारण उनका सदुपयोग की बजाय गलत दोहन हो रहा है। हाल ही में लांसेंट ने ''मिसिंग गर्ल्स इन इण्डिया'' 1990-2010 तक एक अध्ययन की प्रकाशित रिपोर्ट में व्यक्त किया गया है, कि देश में 45 लाख कन्याओं को पिछले 10 सालो (2000-2010) के दौरान जन्म लेने से पूर्व ही मार दिया गया। यानि की हर साल साढ़े चार लाख कन्या भ्रूण हत्यायें हो रही हैं। यह स्थिति मात्र गरीबों में ही नही, बल्कि 20 प्रतिशत प्रवृत्ति धनी लोगों में बढ़ी है। सामान्यत: जिन परिवारों की पहली लड़की है, वहाँ दूसरा लड़का होने की संतुष्टि हेतु बच्चे के जन्म से पूर्व लिंग चयन अर्थात ''सलेक्टिव एबार्शन'' हो रहे है।
    इस स्थिति पर ट्रस्ट द्वारा गम्भीर चिन्तन करते हुये सेक्स अनुपात के इस संतुलन व भविष्य में गम्भीर स्थिति से बचाने के लिये निर्णय लिया गया, कि गाँवों-शहरों में भ्रमण कर जेनडर शेन्सटाइजेशन हेतु सफल प्रयास किये जायेगें। इस हेतु ट्रस्ट प्रबंधन द्वारा कुशल जनशक्ति का उपयोग किया जायेगा।